
वो पहली तारिख का इंतज़ार करना
वो बार बार कैलेंडर देखना
वो सेलेरी को लेकर नए नए मनसूबे बांधना
आमदनी से चौगुना खर्चा निकलने पर दुखी होना
फिर उन सब में भी बचत करने की सोचना
फिर धीरे धीरे सेलेरी की तारिख का नज़दीक आना
और मजबूती से कैलेंडर पर नज़रे जमाये रहना
और फिर मालूम चलना सेलेरी तो जमा ही नहीं हुई
अनमने मन से घर को लौटना और नयी तारिख देखना
फिर से कैलेंडर को घूरना और बुझे मन से आंखे मूंदना
अगले दिन फिर से नए खयाली पुलाव पकाना
आखिरकार हरी...