देश की आजादी की लडाई में हमने बहुत से कीमती लोग खो दिए हैं. एक बार नहीं दो बार नहीं कई बार और अभी तक खो ही रहे हैं. बॉर्डर पर, तो रोज़ सिपाही मर रहे हैं, अभी कुछ ही दिन पहले होटल ताज पर आतंकी हमला हुआ जिस में कई पुलिस वाले और अफसर मारे गए. आजादी मिले हुए कई वर्ष बीत गए लेकिन जो कुछ भी हमने खोया उस दर्द से आज भी हम उबर नहीं पाए हैं. पता नहीं ये मौत का मंज़र कब रुकेगा. आज की ताज़ा स्थिति देखे तो हमारे देश के लोगो कई शिकायतें हैं लेकिन कमियाँ किस देश में नहीं होती ..फिल्म रंग दे बसंती का एक संवाद याद आ रहा है " कोई भी देश बेहतर नहीं होता उसे बेहतर बनाना पड़ता है" सही कहा है कहने वाले ने.
जो आजादी हमे कई सिपाहियों की जान की कीमत चूका कर मिली है उसे सहेज कर रखना होगा और एक बेहतर राष्ट्र बनाना होगा. मुझे इस भारत भूमि पर पैदा होने पर गर्व है. शहीदों को मेरा सलाम.
जो आजादी हमे कई सिपाहियों की जान की कीमत चूका कर मिली है उसे सहेज कर रखना होगा और एक बेहतर राष्ट्र बनाना होगा. मुझे इस भारत भूमि पर पैदा होने पर गर्व है. शहीदों को मेरा सलाम.
जय हिंद जय भारत!
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